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समुद्र के रास्ते दुनिया का चक्कर लगायेंगी नौसेना की दो जांबाज अधिकारी

नयी दिल्ली 23 सितम्बर : भारतीय नौसेना की दो जांबाज अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए नौकायन पोत तारिणी में दो अक्टूबर को नाविका सागर परिक्रमा अभियान के तहत समुद्र के रास्ते दुनिया का चक्कर लगाने के असाधारण मिशन पर निकलेंगी।

नौसेना उप प्रमुख वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन की अध्यक्षता में यहां हुए एक कार्यक्रम में सोमवार को इस अभियान के बारे में जानकारी दी।

ये दोनों अधिकारी गोवा में आईएनएस मंडोवी से इस चुनौतीपूर्ण अभियान पर रवाना होगी। यह जोड़ी बिना किसी बाहरी सहायता के केवल पवन ऊर्जा पर निर्भर होकर 21,600 समुद्री मील (लगभग 40,000 किमी) से अधिक की दूरी आठ महीने में तय करेगी। यह अभियान प्रतिकूल परिस्थितियों में अधिकारियों की असाधारण वीरता, साहस और दृढ़ता को उजागर करती है। इस यात्रा के दौरान ये अधिकारी तीन समुद्री मार्गों – केप लीउविन, केप हॉर्न और केप ऑफ गुड होप के आसपास के खतरनाक मार्ग सहित कुछ सबसे जोखिम भरे पानी से होकर गुजरेंगी। यह यात्रा न केवल उनकी बहादुरी और कौशल का प्रमाण है, बल्कि उनकी भावना और दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करते हुए नारी शक्ति के प्रति भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है।

इस अभियान की कल्पना भारतीय नौसेना द्वारा नाविका सागर परिक्रमा के उद्घाटन के साथ 2017 में की गई थी। उस समय में छह महिला अधिकारियों के दल ने समुद्र के रास्ते दुनिया का चक्कर काटा था। इस अभियान का दूसरा संस्करण इसलिए असाधारण होगा क्योंकि इस बार केवल दो महिला अधिकारी इसे पूरा करेंगी। इससे पहले, कैप्टन दिलीप डोंडे (सेवानिवृत्त) 2009-10 में दुनिया का चक्कर लगाने वाले पहले भारतीय थे। इसके बाद, कमांडर अभिलाष टॉमी (सेवानिवृत्त) दो जलयात्राओं में भाग लेने वाले पहले एशियाई कप्तान थे और उन्होंने 2022 में गोल्डन ग्लोब रेस को पूरा करने की दुर्लभ उपलब्धि हासिल की थी। गौरतलब है कि कमांडर अभिलाष टॉमी (सेवानिवृत्त) आधिकारिक संरक्षक के रूप में दोनों अधिकारियों के प्रशिक्षण से निकटता से जुड़े रहे हैं।

यह अभियान दक्षिणी नौसेना कमान के तहत नौसेना मुख्यालय और महासागर सेलिंग नोड, गोवा में स्थित भारतीय नौसेना सेलिंग एसोसिएशन के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। दोनों नोडल केंद्र अंतरराष्ट्रीय समुद्री एजेंसियों और अधिकारियों के साथ संपर्क में यात्रा का समन्वय करेंगे।

वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन ने नाविका सागर परिक्रमा-दो को एक उज्जवल और सशक्त भविष्य के लिए नए रास्ते तैयार करते हुए भारत की समुद्री विरासत के प्रति सशक्तिकरण, नवाचार और प्रतिबद्धता की यात्रा बताया।

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